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बसंत पंचमी पर ऐसे करें मां सरस्वती की आराधना, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

त्योहारों का मौसम एक बार फिर लौट आया है, लोहड़ी और मकर संक्रांति के बाद बसंत पंचमी के त्योहार की तैयारियां शुरू हो गई हैं। सर्दी के महीनों के बाद वसंत और फसल की शुरूआत होने के रूप बसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल बसंत पचंमी का त्योहार 22 जनवरी को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी को ‘सरस्वती पूजा’ के रूप में भी मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं आखिर क्या महत्व है बसंत पचंमी के त्योहार का।


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माघ महीने के पांचवे दिन मनाई जाती है बसंत पंचमी

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी हर साल माघ महीने के पांचवे दिन मनाई है और प्रत्येक समुदाय इसे अलग तरीके से मनाता है। बसंत का अर्थ है वसंत और पंचमी का मतलब है पांचवा जिस दिन यह त्योहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन मां सरस्वती की  दूध, दही, मक्खन, घी, नारियल से पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन अच्छे काम करना भी शुभ माना जाता है। इस बार 22 जनवरी को बसंत पंचमी मनाई जा रही है।


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पूजा करना का ये है मुहूर्त

वसंत पंचमी पूजा मुहूर्त सुबह 07:17 से शुरू है, इसकी अवधि 5 घंटे 15 मिनट तक रहेगी। पंचमी तिथि की शुरुआत 21 जनवरी 2018 रविवार को 15:33 बजे से है और इसकी समाप्ती 22 जनवरी 2018 सोमवार को 16:24 बजे तक बताई गई है। इस त्योहार पर पीले रंग का महत्व इसलिए बताया गया है क्योंकि बसंत का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते और व्यंजन बनाते हैं।


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कैसे करें माँ सरस्वती की उपासना, किन बातों का ख्याल रखें?

1. इस दिन पीले , बसंती या सफ़ेद वस्त्र धारण करें ,काले या लाल वस्त्र नहीं

2. तत्पश्चात पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें

3. सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे का प्रयोग इस कार्य के लिए करें

4. माँ सरस्वती को श्वेत चन्दन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प अवश्य अर्पित करें, प्रसाद में मिसरी,दही और लावा समर्पित करें। केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा।…Next


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