मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। ऐसे में इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसको विवाह पंचमी भी कहते हैं, इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह करवाना बहुत शुभ माना जाता है। इस बार विवाह पंचमी 23 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में चलिए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातें।
भगवान राम और सीता की शादी
पौराणिक धार्मिक ग्रथों के अनुसार इस तिथि को भगवान राम ने जनक नंदिनी सीता से विवाह किया था जिसका वर्णन श्रीरामचरितमानस में महाकवि गोस्वामी तुलसीदासजी ने किया है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम-सीता के शुभ विवाह के कारण ही यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। भारतीय संस्कृति में राम-सीता आदर्श दम्पत्ति माने गए हैं। जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने सदा मर्यादा पालन करके पुरुषोत्तम का पद पाया, उसी तरह माता सीता ने सारे संसार के समक्ष पतिव्रता स्त्री होने का सर्वोपरि उदाहरण प्रस्तुत किया।
विवाह पंचमी के दिन किस तरह के वरदान मिल सकते हैं?
1. अगर आपके विवाह में अलग-अलग तरह की बाधा आ रही है तो इस दिन ये समस्या दूर हो जाती है, साथ ही मनचाहे विवाह का वरदान भी मिलता है।
2. इस दिन भगवान राम और माता सीता की संयुक्त रूप से उपासना करने से विवाह होने में आ रही बाधाओं का नाश होता है।
3. इस दिन बालकाण्ड में भगवान राम और सीता जी के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ होता है। साथी ही अगर आप सम्पूर्ण रामचरित-मानस का पाठ करने से भी पारिवारिक जीवन सुखमय होता है।
कैसे करें भगवान राम और माता सीता का विवाह?
स्नान करके विवाह के कार्यक्रम का आरम्भ करें, भगवान राम और माता सीता की प्रतिकृति की स्थापना करें।राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें. साथ ही बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करें या “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” का जप करें। इसके बाद माता सीता और भगवान राम का गठबंधन करें, उनकी आरती करें, इसके बाद गाँठ लगे वस्त्रों को अपने पास सुरक्षित रख लें।…Next
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