दिवाली की रौनक हर तरफ दिखाई दे रही है. दीवाली को लेकर सभी का अपना खास प्लॉन है. ऐसे में सबके लिए दिवाली के मायने अलग-अलग है. किसी को घर की सजावट पसंद है, तो किसी को रंगोली के रंग भाते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें तरह-तरह की मिठाईयां और पकवान पसंद हैं. दिवाली से कई परम्परा जुड़ी हुई है. ऐसी ही एक परम्परा है, दिवाली से पहले घरौंदा बनाना. बचपन में आपने भी कभी न कभी छोटा-सा मंदिर या घरौंदा बनाया होगा या फिर अपने आसपास के लोगों को बनाते हुए देखा होगा. असल में दिवाली पर घरौंदा बनाने से एक मान्यता जुड़ी हुई है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम चौदह साल के वनवास के बाद कार्तिक माह की अमावस्या के दिन अयोध्या लौटे तब उनके आगमन की खुशी में नगरवासियों ने घरों में घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया. उसी समय से दीपावली मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है. अयोध्यावासियों का मानना था कि श्रीराम के आगमन से ही उनकी नगरी फिर बसी है. इसी को देखते हुए लोगों में घरौंदा बनाकर उसे सजाने का प्रचलन हुआ.
घरौंदा बनाते वक्त अलग-अलग रंगों का प्रयोग किया जाता है, जो जीवन में नई-नई खुशियों का सूचक है. कई लोग घरौंदे में लक्ष्मी-गणेश की पूजा भी करते हैं. जिससे घर में समृद्धि और खुशहाली आती है. बदलते परिवेश के साथ घरौंदे में भी बदलाव देखने को मिलता है. अब बाजार में हर चीज रेडिमेड उपलब्ध होने लगी है. बाजार में मिट्टी से बने-बनाए घरौंदे भी बिकने लगे हैं, लेकिन देखा जाए तो अपने हाथ से बनाए हुए घरौंदे के पीछे एक अलग तरह की सकरात्मकता होती है…Next
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