शनिदेव एकमात्र ऐसे देव हैं जिनकी पूजा लोग डर की वजह से करते हैं. लेकिन शनि क्रोध के नहीं बल्कि न्याय के देवता हैं, जो इंसान को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. अक्सर देखा गया है कि शनिवार के दिन शनिदेव पर तेल चढ़ाया जाता है और सरसों के तेल का दीपक भी जलाया जाता है. तेल और शनि के बीच क्या संबंध है? ऐसा क्यों है कि शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता है? शनिदेव को तेल चढ़ाने के पीछे पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.
शनिदेव को हनुमान जी ने दिया था तेल
शास्त्र में लिखा है कि रामायण काल में शनि को अपनी शक्ति पर काफी घमंड हो गया था, इसलिए उन्होंने हनुमान जी से लड़ाई करने की सोची. लड़ाई के दौरान शनिदेव मूर्छित हो गए तब हनुमानजी ने उन्हें लगाने के लिये तेल दिया. तभी से शनिदेव को तेल अर्पित किया जाता है. ऐसा कहा जाता है जैसे शनिदेव ने तेल के जरिए अपनी पीड़ा से मुक्ति पाई थी. इसी तरह शनिवार को जो भी व्यक्ति शनिवार को शनिदेव को तेल चढ़ाएगा, उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे.
क्या कहती है दूसरी कथा
वहीं दूसरी पौराणिक कथा में ऐसा माना गया है कि जब रावण अपने घमंड में चूर था, तब उसने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था. यहां तक कि शनिदेव को भी उसने बंदी बना लिया था, उसी समय हनुमान जी लंका पहुंचे थे और रावण ने हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी थी. इस दौरान शनि वहां से भाग नहीं पाए और उन्हें पीड़ा होने लगी.
रावण ने बनाया था बंदी
कहा जाता है कि, शरीर में भयंकर पीड़ा होने की वजह से दर्द से कराह रहे थे शनि उसके बाद हनुमान जी ने शनिदेव के शरीर पर तेल लगाया जाता है, जिससे उन्हें पीड़ा से छुटकारा मिले. उसी समय शनि ने कहा था कि जो भी व्यक्ति श्रद्धाभक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे सारी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी. तभी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई…Next
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