अपमान न्याय अन्याय बदला और विध्वंस कुछ ऐसे शब्द हमारे दिमाग में आते हैं, जब हम महाभारत का नाम सुनते हैं महाभारत के हर चरित्र की अपनी ही कहानियां है हर किरदार का व्यक्तित्व उनकी परिस्थितियों, पुर्नजन्म से प्रभावित दिखते हैं. आज हम आपको महाभारत के उन्हीं पात्रों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी देवी-देवता के अवतार थे.
भगवान श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण को 64 कलाओं और अष्ट सिद्धियों से परिपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना गया है कि वे स्वयं भगवान विष्णु के अवतार थे. श्रीकृष्ण के इस अवतार के बाद ही कलियुग का आगमन हुआ था.
बलराम
श्रीकृष्ण के भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे. कृष्ण के बड़े भाई होने की वजह से उन्हें ‘दाउजी’ के नाम से भी जाना जाता है. महाभारत के युद्ध के दौरान बलराम किसी के पक्ष में नहीं थे और तटस्थ होकर तीर्थयात्रा पर चले गए.
भीष्म
श्रीकृष्ण के बाद अगर महाभारत का कोई सबसे प्रमुख और चर्चित पात्र रहा तो वो हैं “भीष्म” पितामाह. पांच वसुओं में से एक ‘द्यु’ नामक वसु ने देवव्रत के रूप में जन्म लिया था.
द्रोणाचार्य
कौरवों और पांडवों के गुरु रहे द्रोणाचार्य अत्यंत शक्तिशाली और पराक्रमी योद्धा थे. माना जाता है देवताओं के गुरु बृहस्पति देव ने ही द्रोणाचार्य के रूप में जन्म लिया था.
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कर्ण
कुंती ने विवाह पूर्व कर्ण को जन्म दिया था. उन्हें सूर्यपुत्र कर्ण भी कहा जाता है, क्योंकि कर्ण का जन्म सूर्यदेव के आशीर्वाद से हुआ था. माना जाता है अपने पूर्व जन्म में कर्ण एक असुर थे.
दुर्योधन
धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र दुर्योधन का वास्तविक नाम सुयोधन था, लेकिन अपने कृत्य की वजह से उन्हें दुर्योधन नाम से जाने गए. माना जाता है दुर्योधन और उसके भाई पुलस्त्य वंश के राक्षसों के अंश थे.
अर्जुन
अर्जुन को पांडु पुत्र माना जाता है, लेकिन असल में वे इन्द्र और कुंती के पुत्र थे. दानवीर कर्ण को इन्द्र का अंश ही माना जाता है.
द्रौपदी
महाभारत की सबसे जरूरी और शायद सबसे शक्तिशाली स्त्री पात्र रहीं द्रौपदी का जन्म इन्द्राणी के अवतार के रूप में हुआ था.
अश्वत्थामा
अश्वत्थामा, गुरु द्रोण के पुत्र थे, जिन्होंने महाकाल, यम, क्रोध, काल के अंशों के रूप में जन्म लिया था. कई पौराणिक कथाओं में अश्वत्थामा को शिव का सबसे बड़ा भक्त भी माना जाता है…Next
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