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महिला-पुरूष नागा साधुओं की रहस्यमय दुनिया से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप?

दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने नागा साधुओं को नहीं देखा, लेकिन शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने कभी नागा साधुओं के बारे में ना सुना हो. फिल्मों, किताबों या किस्से कहानियों में नागा साधुओं के बारे में काफी बातें बताई गई हैं लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि नागा साधु कुंभ मेले के बाद आखिर कहां चले जाते हैं.


आइए, जानते हैं नागा साधुओं से जुड़े हुए तथ्य.

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नागाओं का इतिहास-सनातन धर्म के वर्तमान स्वरूप की नींव आदिगुरु शंकराचार्य ने रखी थी. शंकराचार्य के काल में भारत के मठों और मंदिरों की धन-सम्पत्ति को लूटने हेतु आक्रमणकारी आ रहे थे. इन आक्रमणकारियों से रक्षा के लिए शंकराचार्य ने सनातन धर्म के विभिन्न संप्रदायों की सशस्त्र शाखाओं के रूप में अखाड़ों की स्थापना की.ये अखाड़े आश्रम और मंदिरों में होते थे. धर्म और समाज की रक्षा के लिए इन अखाड़ों में साधुओं को अस्त्र-शस्त्र की विद्या दी जाती थी.

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नागा और युद्ध-इतिहास में नागा साधुओं ने धर्म और समाज के लिए कई लड़ाईयां लड़ी है. धर्म के इस कार्य में 40 हजार से ज्यादा नागाओं ने हिस्सा लिया था. कई बार युद्धों में नागा साधुओं को स्थानीय राजा-महाराजाओं का समर्थन भी प्राप्त होता था. इन लड़ाइयों में सबसे प्रमुख्य है नागा साधु और अहमद शाह अब्दाली की लड़ाई. शाह ने मथुरा-वृन्दावन पर कब्जा करने के बाद गोकुल पर आक्रमण किया. तब नागा साधुओं ने अपनी क्षमताओं का परिचय देने हुए शाह की सेना को धूल चटाकर कृष्ण की नगरी गोकुल की रक्षा की थी.


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महिला नागा– वर्तमान में कई अखाड़ों में महिलाओं को भी नागा साधु की दीक्षा दी जाती है. जानकर हैरानी होगी कि महिला साधु में विदेशी महिलाओं की संख्या भी काफी है. वैसे तो महिला और पुरुष नागा साधु के नियम कायदे समान ही है. फर्क केवल इतना ही है कि महिला नागा साधु  को एक पिला वस्त्र लपेट कर रहना पड़ता है और यही वस्त्र पहन कर स्नान करना पड़ता है. इन्हें नग्न स्नान की अनुमति नहीं है, यहाँ तक की कुम्भ मेले में भी नहीं.


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नागाओं का रहस्य-आज भी बड़ी संख्या में युवा नागा साधु बनते हैं परन्तु नागा साधु बनने के लिए पात्रता परीक्षा बहुत कठिन होता है. लगभग 1 साल तक कठिन मेहनत करने के बाद कई कठोर परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है. शिक्षा ग्रहण करने से पहले इन्हें अपने वासनाओं और इच्छाओं पर काबू करना पड़ता है. प्राच्य विद्या सोसाइटी के अनुसार ‘नागा साधुओं के अनेक विशिष्ट संस्कारों में ये भी शामिल है कि इनकी कामेन्द्रियां भंग कर दी जाती हैं.’ नागा 24 घंटों में मात्र एक बार ही भोजन करते हैं…Next


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