महाभारत और रामायण के अलावा कई पौराणिक कहानियां पुराणों में मिलती है. ऐसी ही एक कहानी शिवपुराण में उल्लेखित है. इस कहानी के अनुसार एक राक्षस को मारने के लिए भगवान विष्णु और शिव ने संतान उत्पन्न की थी. राक्षस का वध करने के बाद भगवान विष्णु और शिव की संतान को अयप्पा नाम से जाना गया. जिनकी पूजा दक्षिण भारत में की जाती है.
समुद्रमंथन से उत्पन्न हुई मोहिनी
जब सृष्टि के कल्याण के लिए समुद्रमंथन किया गया, तो भगवान विष्णु ने अमृत को देवताओं को देने के लिए मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी रूप धारण करने के पीछे एक और रहस्य था. वास्तव में महिषासुर नामक एक राक्षस को यह वरदान प्राप्त था कि उसका अंत केवल शिव और विष्णु के पुत्र द्वारा ही हो सकता है.
महिषासुर जानता था कि ये नामुमकिन है इसलिए वह धरती पर तबाही मचाता रहा लेकिन वो इस सत्य को स्वीकार नहीं करता था कि जिसने इस धरती पर जन्म लिया है उसकी मौत भी निश्चित है.
मोहिनी रूप धारण किए विष्णु ने शिव से किया प्रेम निवेदन
भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें कूटनीति की राजनीति की कोई समझ नहीं है. जब मोहिनी रूप में विष्णु ने उनसे प्रेम निवेदन किया और प्राण त्यागने की चेतावनी दी, तो शिव ने एक स्त्री के प्रेम की अवेहलना नहीं की और उसे स्वीकार कर लिया. अंतत: मोहिनी और शिव का मिलना हुआ. उनकी संतान ‘अयप्पा’ ने महिषासुर का अंत किया. अयप्पा में विष्णु और शिव दोनों के ही गुण विद्यमान हैं. …Next
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