चरणामृत का क्या महत्व है? शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियों का शमन करने वाला औषधी के समान है. नारदपुराण ग्रंथ के अनुसार भगवान विष्णु का चरणामृत मनुष्य की सारी परेशानियों को दूर कर सकता है.
चरणामृत में क्यों डाले जाते हैं तुलसी के पत्ते
चरणामृत में तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा भी है, जिससे इसकी रोगनाशक क्षमता और भी बढ़ जाती है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी चरणामृत लेने से मेधा, बुद्धि, स्मरण शक्ति बढ़ती है.
हमेशा सीधे हाथ से लें चरणामृत, मिलेंगे शुभ परिणाम
मान्यता है कि भगवान का चरणामृत औषधी के समान है. कहते हैं सीधे हाथ में तुलसी चरणामृत ग्रहण करने से हर शुभ काम होता है या अच्छे काम का जल्द परिणाम मिलता है. इसीलिए चरणामृत हमेशा सीधे हाथ से लेना चाहिये.
चरणामृत के बाद नहीं करें ये काम
दरअसल शास्त्रों के अनुसार चरणामृत लेकर सिर पर हाथ रखना अच्छा नहीं माना जाता है. कहते हैं इससे विचारों में सकारात्मकता नहीं बल्कि नकारात्मकता बढ़ती है. इसीलिए चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ नहीं फेरना चाहिए.
चरणामृत के होते हैं स्वास्थ लाभ
चरणामृत का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं चिकित्सकीय भी है. चरणामृत का जल हमेशा तांबे के पात्र में रखा जाता है. आयुर्वेदिक मतानुसार तांबे के पात्र में अनेक रोगों को नष्ट करने की शक्ति होती है जो उसमें रखे जल में आ जाती है. उस जल का सेवन करने से शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता पैदा हो जाती है तथा रोग नहीं होते.
अकाल मृत्यु का ड़र होगा खत्म
अगर आपको भी सपने में अकाल मृत्यु का भय रहता है तो ऐसे में घबराएं नहीं, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें और उनका चरणामृत लें, ऐसा करने से आपके मन में बसा डर धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा, साथ ही आपकी उम्र भी बढ़ेगी.
हर तरह के दुख से मिलेगी राहत
नारदपुराण में कहा गया है कि जिस भी घर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को निवास होता है उनकी पूजा अर्चना की जाती है. उस घर में शांति रहती है और दुःख और दरिद्रता कभी नहीं आती…Next
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