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आखिर श्रीराम से किस बात का बदला लेना पड़ा यमराज को

कहा जाता है कि रामराज्य में किसी के साथ अन्याय नहीं होता था, यदि किसी सही मनुष्य के साथ अन्याय होता था तो स्वयं श्रीराम आकर उस व्यक्ति को दंड देते थे. ऐसा ही एक प्रसंग है श्रीराम और यमराज से जुड़ा हुआ. जब श्रीराम ने यमराज के अन्याय का शिकार हो रहे अपने मित्र के प्राणों की रक्षा की थी. आइए, जानते हैं पौराणिक कथाओं में लिखी एक कथा.


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जब श्रीराम के मित्र को सुमंत्र को समय से पहले ले जाने लगे यमराज

एक बार श्रीराम सभा में बैठे हुए थे. तभी उनके दरबार का एक सेवक भागते हुए आया और उसने श्रीराम को समाचार दिया कि उनके परम मित्र सुमंत्र को यमराज के सेवक ले जा रहे हैं. श्रीराम ने तत्काल ही अपना दिव्य रथ निकाला और मृत्युलोक में यमराज के पास पहुंच गए. श्रीराम ने ऋषि वशिष्ठ से जब सुमंत्र की आयु पूछी तो पता चला कि उनका जीवनकाल अभी 9 दिन और शेष था.


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श्रीराम ने वापस मांगे अपने मित्र के प्राण

श्रीराम ने यमराज से नियमों का पालन करने के लिए कहा. यमराज ने कई बातें बोलकर श्रीराम की बात टालने की कोशिश की लेकिन श्रीराम अपनी बात पर अटल थे. अंत में हार मानकर यमराज को श्रीराम को प्राण लौटाने पड़े. अपने हाथों से वापस प्राण वापसी करने से यमराज के सेवक रूष्ट हो गए और उन्होंने दुहाई देते हुए यमराज से प्रतिशोध लेने की बात कही.


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जब यमराज ने अयोध्या में कर दिया आक्रमण

यमराज ने अपने सेवकों के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए श्रीराम से युद्ध करने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने सेना बनाने के लिए संसार भर में भ्रमण कर लिया, लेकिन श्रीराम से युद्ध करने के लिए देवराज इंद्र, मंगल ग्रह, अग्नि देव, सूर्यदेव किसी में साहस नहीं था. चारों ओर से निराश होकर अंत में यमराज ने खुद की सेना लेकर अयोध्या पर चढ़ाई कर दी.


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जब श्रीराम के पुत्र ने यमराज पर किया ब्रह्मास्त्र का प्रयोग

यमराज को सेना सहित अयोध्या की तरफ आते देखकर श्रीराम ने अपने पुत्र लव को यमराज से युद्ध करने के लिए भेज दिया. लव ने यमराज को रोकने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, जिससे बचने के लिए यमराज अपने प्राण बचाने हेतु पूरी पृथ्वी पर घूमने लग गए. तब सूर्यदेव के निवेदन से लव ने ब्रह्मास्त्र को दिव्य मंत्र से शांत कर दिया. इसके पश्चात यमराज ने श्रीराम और लव से क्षमा मांगी. …Next



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