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भगवान विष्णु से पहले करें ‘शालीग्राम’ की पूजा, दौलत और शोहरत में नहीं होगी कमी

आपने यह गौर किया होगा कि भगवान विष्णु को कई स्थानों में काले पत्थर के रूप पूजा जाता है. यही नहीं सत्य नारायण की पूजा के समय पंडित जी एक काला पत्थर साथ में रखते हैं जो विष्णु जी की मूर्ति के पास रखा जाता है और फिर पूजा शुरू की जाती है, इस पत्‍थर को शालिग्राम के नाम से जाना जाता है.


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शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है. इसमें भगवान विष्णु के दस अवतार समाहित हैं. पुराणों के अनुसार जिस घर में शालिग्राम स्थापित हो, वह घर समस्त तीर्थों से भी श्रेष्ठ माना जाता है. शालिग्राम को विभिन्न पूजा में शामिल किया जाता है. खासतौर से सत्यनारायण की कथा में भगवान विष्णु के समीप शालिग्राम को स्थापित किया जाता है.


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शालीग्राम के पत्थर मुख्य रूप से नेपाल में बहने वाली गंडकी नदी में पाए जाते हैं. इस नदी को तुलसी का रूप भी माना जाता है. इस नदी को नारायणी नदी भी कहा जाता है. यह ख़ासतौर पर काले रंग में पाया जाता है, शालीग्राम में भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र बना होता है.


शालीग्रामकी पूजा से होते हैं ये लाभ

1. शालीग्राम को हमेशा तुलसी के पौधे के साथ रखना अच्छा फलदायी होता है. पूजा में तुलसी का पत्ता भगवान शालीग्राम के ऊपर चढ़ाने से धन, वैभव और प्रसिद्धी मिलती है.


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2. इसे विष्णु की प्रतिमा के पास रखना ज़्यादा फलदायी होता है. जिस घर में शालीग्राम की रोज पूजा होती है, वहां माता लक्ष्मी का वास होता है.


3. शालीग्राम की पूजा करने से आपके पिछले और इस जन्म के सभी पाप धुल जाते हैं. इसकी पूजा करने से दुश्मन का नाश होता है. दुख और दरिद्रता नष्ट हो जाती है.


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4. घर में सिर्फ़ एक ही शालीग्राम होना चाहिए, बिना नहाए शालीग्राम को नहीं छूना चाहिए. इसके पूजन के समय आपका मन निर्मल होना चाहिए…Next



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