भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है, भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं. अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है, सृष्टि की उत्पत्ति स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव को ही माना जाता है.
भगवान शिव को सबसे रहस्यमय माना जाता है. ऐसा ही एक रहस्य है उनके पांच पुत्रों का, जिसके बारे में लोग कम ही जानते हैं. भगवान कार्तिकेय और गणेश जी को भगवान शिव के पुत्रों के रूप में जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान शिव के 3 पुत्र और भी थे.
1. अंधक
एक बार भगवान शिव और पार्वती प्रेमक्रीडा में मग्न थे. देवी पार्वती ने भगवान शिव की आंखें मूंद दी इससे सृष्टि में अंधकार छा गया और भगवान शिव का शरीर तेज से गर्म होने लगा तभी शिव जी के शरीर से गिरे पसीने की बूंद से एक अंधा बालक प्रकट हुआ. जन्म से अंधा होने की वजह से यह अंधक कहलाया. बाद में हिरण्याक्ष नामक असुर की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने अंधक को हिरण्याक्ष को दे दिया जो बाद अधंकासुर कहलाया. अंधकासुर के मन में देवी पार्वती के प्रति काम भावना जगने पर स्वयं महादेव ने इसका वध कर दिया था.
2. अंगारक
अंगारक को मंगल ग्रह के रूप में भी जाना जाता है. वैसे कुछ कथाओं में अंगारक को भगवान विष्णु के द्वारा उत्पन्न हुए देवता के रूप में भी बताया गया है.
3. अयप्पा
पौराणिक कथा के अनुसार भष्मासुर से भगवान शिव की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी और भगवान शिव ने उस समय अयप्पा को प्रगट किया था. कुमार कार्तिकेय की तरह अयप्पा भी दक्षिण दिशा में बस गए थे.
4. श्रीगणेश
देवी पार्वती ने अपने पसीने और मिट्टी से एक बालक का निर्माण किया था. जिसे स्नान करते समय स्नानगृह के बाहर पहरेदारी के लिए खड़ा कर दिया. जब भगवान शिव स्नानगृह के समीप आए तो उस बालक ने उन्हें वहां से प्रस्थान करने के लिए कहा लेकिन शिव इस अवेहलना से क्रोधित हो गए तब उन्होंने बालक का सिर काट दिया. जब देवी पार्वती ने अपने द्वारा निर्मित पुत्र का हाल देखा तो उन्होंने क्रोधित होकर पूरी सृष्टि के संहार की चेतावनी दी. तब शिव ने एक गज (हाथी) का सिर बालक में लगाकर उसे जीवित कर दिया. गज का मुख लगा देने के बाद बालक का नाम गणपति पड़ गया.
कार्तिकेय
भगवान शिव के सबसे बड़े पुत्र जो किशोरावस्था में ही कैलाश छोड़कर दक्षिण भारत चले गए थे. दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरूगन स्वामी के नाम से जाना जाता है. …Next
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