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श्रीकृष्ण की बहन के इस कदम ने पलट दिया महाभारत का इतिहास, नहीं होता कभी अभिमन्यु का जन्म

महाभारत को न्याययुद्ध के रूप में देखा जाता है. जब अत्याचार करने वाले अपने ही हो तो व्यक्ति की मनोस्थिति कैसी होती है, ये बात रणभूमि से भागते अर्जुन को देखकर समझी जा सकती है. दुविधा में व्यक्ति सही-गलत का फैसला नहीं कर पाता. अपनों का मोह उसे अस्त्र उठाने नहीं देता. महाभारत की रणभूमि पर श्रीकृष्ण के द्वारा दिया गया गीता ज्ञान जीवन का सार है, जो हर युग में मनुष्यों के लिए लाभकारी है.


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महाभारत की अंसख्य कहानियों के चरित्रों को समझकर जीवन के कई पहलुओं को समझा जा सकता है. महाभारत की इन्हीं कहानियों में से एक कहानी है अर्जुन और श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा की.

पांडवों से द्रौपदी ने लिया था दूसरा विवाह न करने का वचन

जब द्रौपदी का विवाह कुंती ने पांचों भाईयों से करवा दिया, तो द्रौपदी ने वचन लिया कि पांडव द्रौपदी के अलावा किसी भी अन्य स्त्री को रानी के रुप में घर में नहीं लाएंगे. जिसे सभी पांडवों ने निर्विवाद स्वीकार कर लिया लेकिन महाभारत में ऐसी कई कहानियां मिलती है जिनसे पता चलता है कि द्रौपदी के अतिरिक्त भी पांडवों ने विवाह किया था.


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अज्ञातवास के दौरान जब अर्जुन को दो वर्ष के लिए रहना पड़ा घर से दूर

महाभारत में एक प्रसंग के अनुसार द्रौपदी को सभी भाईयों के साथ एक-वर्ष बिताने का समय निर्धारित किया गया था. इस दौरान किसी अन्य भाई द्रौपदी के कक्ष में आने की अनुमति नहीं थी, लेकिन एक किसान की मदद करने के लिए अर्जुन को अपने धनुष-बाण लेने के लिए कक्ष में आना पड़ा. उस दौरान द्रौपदी बड़े भाई युधिष्ठिर के साथ वार्तालाप कर रही थीं. इस प्रकार वचन का पालन करने के लिए अर्जुन को दो वर्ष के लिए घर से दूर वन में जाना पड़ा.


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अपने विवाह मंडप से भागकर आई थीं सुभद्रा

अर्जुन के मंदिर के पास बैठकर ध्यान लगा रहे थे. तभी उन्होंने एक स्त्री के विलाप की ध्वनि सुनी. अर्जुन ने जब स्त्री से कारण पूछा तो उसने बताया वो श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा है और उनके बड़े भाई बलराम उसका विवाह दुर्योधन से करवाना चाहते हैं. अर्जुन ने सुभद्रा को पहचान लिया. सुभद्रा ने अर्जुन को बताया वो बचपन से अर्जुन से प्रेम करती है और उसी से विवाह करने की इच्छा रखती है. इस कारण ही वो विवाह मंडप से भागकर आई हैं.


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मंडप से भागकर अर्जुन से कर लिया विवाह

तभी वहां श्रीकृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने सुभद्रा के प्रेम को स्वीकार करने के लिए अर्जुन को कहा. अर्जुन ने सुभद्रा से विवाह कर लिया और इस तरह दुर्योधन से सुभद्रा का विवाह होते-होते टल गया.


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दुर्योधन से विवाह होने पर नहीं हो पाता अभिमन्यु जैसे योद्धा का जन्म

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