कहते हैं दुनिया में हर बात का कोई ना कोई अर्थ होता है. दुनिया में जो भी चीज उपस्थित है, उसके पीछे कोई न कोई कहानी छुपी हुई है. इसी तरह आप अपने आसपास कई जगहों का नाम सुनते होंगे. क्या कभी आपने सोचा है कि इन शहरों या जगहों का नाम कैसे पड़ा होगा. ऐसी एक जगह है मनाली. जिसका नाम ब्रह्मा पुत्र मनु के नाम पर पड़ा है. आइए, जानते हैं इससे जुड़ी एक पौराणिक कहानी के बारे में.
पौराणिक कहानी के अनुसार मनु का गमन एक नदी में हुआ. वहां पर उन्होंने एक छोटी मछली देखी. दरअसल, ये मछली, मत्सय रूप में अवतरित हुए भगवान विष्णु थे. मनु ने सोचा कि ये छोटी मछली किसी बड़ी मछली का शिकार हो सकती है, इसलिए उन्होंने इस छोटी मछली को कमंडल में रख लिया. समय के साथ वो मछली बड़ी होती गई जिसे देखकर मनु ने उस मछली को तालाब में छोड़ दिया, लेकिन मछली तेजी से बड़ी हो रही थी. तब मनु ने उस मछली के लिए एक बड़ा-सा जल से भरा संदूक का निर्माण करवाया, लेकिन मछली अभी भी तेज गति से बड़ी हो रही थी. तब मनु ने मछली को गंगा में प्रवाहित कर दिया.
गंगा में पहुंचकर मछली दुगुने आकार से बढ़ने लगी. गंगा नदी भी मछली के आकार को संभाल नहीं पाई, जिसके कारण बाढ़ आ गई. तेज बारिश के बाद दुनिया में प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई. तब मनु ने एक बड़ा-सा पानी का जहाज बनवाया और 7 ऋषियों को पानी के जहाज में बैठा लिया. थोड़ी देर बाद आकाशवाणी हुई कि मछली कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु हैं. तब 7 ऋषि और मनु मतस्य रूप में अवतरित मछली के आगे नतमस्तक हो गए.
इस पौराणिक कहानी में उल्लेख किया गया है कि जब पूरा संसार प्रलय में समाप्त हो गया था, तो मतस्य रूप में भगवान विष्णु ने मनु को प्रलय से निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने का मार्ग बताया था. इस कारण से मनु को संपूर्ण मानवजाति को बचाने के कारण मनुष्य जाति के पिता के रूप में देखा जाता है. माना जाता है प्रलय से बचकर मनु का जहाज जिस स्थान पर रूका था उस जगह को मनुआलय कहा गया. इस हजारों सालों बाद मनुआलय को मनाली नाम से जाना जाने लगा. मनाली हिमाचल प्रदेश में है. यहां पर मनु और अन्य 7 ऋषियों का मंदिर भी बनाया गया है. खास बात ये है कि प्रलय की कहानी का उल्लेख बाइबल में भी किया गया है…Next
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