आधुनिक वक्त में काफी चीजों में बदलाव आया है. बदलाव की ये बयार जीवन के हर पहलू में दिखाई पड़ती है. जैसे बात करें शादी की तो, आज बेशक से शादियां हाईटेक हो गई हैंं, लेकिन कुछ परम्पराएं अभी भी वैसी ही हैं जैसे, आज तरह-तरह के शादी के कार्ड देखने को मिलते हैं लेकिन उन कार्ड्स में लड़के के नाम के आगे चिरंंजीव (चिर.) और लड़की के नाम के आगे आयुष्मति (आयु.) क्यों लिखा जाता है. वास्तव में इससे एक पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है.
एक ब्राह्मण जोड़ा महामाया देवी का भक्त था और उनकी कोई संतान नहीं थी. उन्होंने मिलकर महामाया देवी का पूजन किया और महामाया देवी प्रसन्न हो गई. देवी ने दोनों से वरदान मांगने को कहा, जिसके बाद दोनों ने एक पुत्र की कामना की. महामाया ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन साथ ही कहा कि तुम्हारा पुत्र अल्पायु है और किसी का भाग्य नहीं बदला जा सकता.
ब्राह्मण दंपत्ति को कुछ समय पश्चात पुत्र की प्राप्ति हुई. धीरे-धीरे वर्ष बीत गए और पुत्र की मृत्यु की आयु समीप आने लगी. ये देखकर दोनों दंपत्ति बहुत चिंतित हुए. इसी बीच उनके पुत्र ने बाहर घूमने की कामना की और घर से निकल गया. कुछ समय बाद उनका पुत्र भटकते-भटकते एक नगर में चला गया, वहां उसने एक सेठ की दुकान पर नौकरी कर ली. सेठ ने उसके जैसा कर्मठ लड़का कहीं नहीं देखा था. अपनी ढलती आयु के बारे में सोचकर सेठ ने अपनी एकलौती बेटी का विवाह उस लड़के से करवा दिया. दोनों नवविवाहित दंपत्ति सुख से रहने लगे. धीरे-धीरे समय बीता और लड़के की मृत्यु की घड़ी नजदीक आ गई.
एक रात स्वयंं यमराज नाग का रूप धरकर वहां आए और लड़के के पैर में काट लिया जिससे लड़के की तुरंंत मृत्यु हो गई. उसी समय वधुकन्या की आंखें खुल गई और उसने सारी बात समझते हुए नाग को पकड़कर टोकरी में बंद कर दिया. संयोग से लड़के की पत्नी भी महामाया देवी की भक्त थी. उसे 1 महीने तक देवी की आराधना की. इस दौरान उसके पति का शव वहीं पड़ा रहा. गंध और महामारी ने उसे घेर लिया किंतु उसने कठोर तप नहीं छोड़ा.
यमराज को टोकरी में बंद कर देने से सृष्टि का पूरा चक्र रूक गया. अंत में देवी मां प्रसन्न हुई और उस पतिव्रता के अल्पायु पति को चिंरजीव होने का वरदान देते हुए जीवित कर दिया. साथ ही उसकी निष्ठा देते हुए उसे आयुष्मति कहकर पुकारा.
विवाह के बाद लड़का और लड़की दोनों की किस्मत एक दूसरे से प्रभावित होती है. अपने सच्चे प्रेम और निष्ठा से वो एक-दूसरे की मुश्किलें अपने सिर तक ले लेते हैं, इसलिए विवाह से पूर्व ही दोनों का नाम एक साथ जोड़ने के लिए वर के आगे चिरंंजीव और वधु के आगे आयुष्मति लिखा जाता है…Next
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