महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है, जिसमें कई कहानियां जीवन की सच्चाईयों से हमें अवगत करवाती है. इसमें हर योद्धा का जन्म अपने पूर्वजन्म से भी जुड़ा हुआ है. कर्म होने के साथ सबकी अपनी नियति है. महाभारत में ऐसी ही कहानी है एकलव्य की. हम बचपन से एकलव्य के बारे में पढ़ते आ रहे हैं. जिसमें वो गुरू द्रौण की प्रतिमा बनाकर स्वयं ही धनुविद्या में पारंगत होता है, लेकिन राजकतर्व्यों से वशीभूत होकर गुरू द्रौण एकलव्य से उसका अगूंठा मांग लेते हैं. महाभारत में इस एकलव्य के इस प्रसंग के बाद कोई कहानी नहीं मिलती जिसमें एकलव्य का उल्लेख किया गया हो. लेकिन कई पौराणिक कहानियों में माना जाता है कि एकलव्य का वध भगवान श्रीकृष्ण ने किया था.
श्रृंगबेर राज्य का राजा बना था एकलव्य
पिता की मृत्यु के बाद एकलव्य श्रृंगबेर राज्य का शासक बना. अमात्य परिषद की मंत्रणा से वह न केवल अपने राज्य का संचालन किया बल्कि निषाद भीलों की एक सशक्त सेना और नौसेना गठित की. साथ ही वो अपने राज्य की सीमाओँ का विस्तार करता है.
विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण के अनुसार
विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण में उल्लिखित है कि निषाद वंश का राजा बनने के बाद एकलव्य ने जरासंध की सेना की तरफ से मथुरा पर आक्रमण कर यादव सेना का वध कर दिया था. यादव वंश में हाहाकर मचने के बाद जब कृष्ण ने दाहिने हाथ में महज चार अंगुलियों के सहारे धनुष बाण चलाते हुए एकलव्य को देखा, तो उन्हें इस दृश्य पर विश्वास ही नहीं हुआ. एकलव्य अकेले ही सैकड़ों यादव वंशी योद्धाओं को रोकने में सक्षम था. इसी युद्ध में कृष्ण ने छल से एकलव्य का वध किया था. उसका पुत्र केतुमान महाभारत युद्ध में भीम के हाथ से मारा गया था…Next
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