नारायण… नारायण. आपने धार्मिक टीवी सीरियल्स में नारद मुनि को स्वर्ग में जाकर नारायण, नारायण जपते हुए देखा होगा. साथ ही ये भी देखा होगा कि वो पूरे संसार का समाचार किस तरह से सभी लोगों को देते थे. बहुत-सी पौराणिक कहानियों में नारद मुनि और स्वर्ग की किसी अप्सरा के प्रेम प्रसंग से जुड़ी हुई कहानियों का भी उल्लेख किया गया है.
नारद मुनि के बारे में सभी लोगों के अपने मत हैं कोई उन्हें विष्णु भक्त के रूप में जानता है तो कोई उन्हें परनिंदा करने वाले देवता कहने में भी गुरेज नहीं करता लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि नारद को हमेशा से पारिवारिक सुख बहुत आर्कषित करता था. वो अप्सराओं या किसी रूपवती को देखकर प्रेम से वशीभूत हो जाते थे लेकिन फिर भी जब कभी वो विवाह करने की चेष्टा करते थे तो अंत में उन्हें निराशा ही हाथ लगती थी.
ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्मखण्ड में एक कहानी का उल्लेख मिलता है जिसमें नारद को उनके पिता भगवान ब्रह्मा से आजीवन अविवाहित रहने का श्राप मिला था. इस कहानी के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण कर रहे थे तो उनके चार पुत्र हुए. वो तपस्या पर निकल गए. इसके बाद बारी आई नारद मुनि की. नारद मुनि से ब्रह्मा ने कहा कि ‘तुम सृष्टि की रचना में मेरा सहयोग करो और विवाह कर लो’.
नारद स्वभाव से चंचल थे. उन्होंने अपने पिता को मना कर दिया. अपनी अवेहलना सुनकर ब्रह्मा बहुत क्रोधित हो गए. उन्होंने नारद को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप देते हुए कहा. ‘तुम जीवन में कई बार प्रेम का अनुभव करोगे लेकिन तुम चाहकर भी कभी विवाह नहीं कर पाओगे. तुम जिम्मेदारियों से भागते हो इसलिए तुम्हें पूरी दुनिया में केवल भाग-दौड़ ही करनी पड़ेगी’. इस तरह नारद को श्राप मिल गया और वो युगों-युगों तक एक लोक से दूसरे लोग में विचरण करते रहे…Next
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