अक्सर आपने अपने बड़े बुर्जुगों से सुना होगा कि सावन के दौरान या फिर उसके बाद घर में कोई भी शुभ काम नहीं होता है. घर पर ना ही कोई शादी होती है और ना ही कोई भी शुभ कार्य किया जाता है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है या फिर इसके पीछे क्या मान्यताएं हैं. दरअसल इसके पीछे कई कारण हैं जो हमें शुभ कार्य नहीं करने देते हैं.
सूर्य दक्षिणायन होने पर किसी प्रकार के शुभ कार्य नहीं होते हैं
शास्त्रों के अनुसार सूर्य दक्षिणायन होने पर किसी प्रकार के शुभ कार्य नहीं होते हैं. नवंबर के महीने में देवउठनी एकादशी के साथ ही सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. इस तरह जुलाई से लेकर नवंबर तक शादी विवाह, गृह प्रवेश दुकान व्यापार मुहूर्त आदि शुभ कार्य नहीं होते हैं.
देवउठनी एकादशी क्या होती है
शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी को हरि शयन एकादशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां चार मास का पहरा देते हैं. चार महीने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को वापस लौटते हैं. इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं.
सावन के महीने में बहुत कम होते हैं शुभ कार्य
सावन के महीने में बहुत से लोग शिव की अराधना करते हैं, साथ ही बारिश की वजह से भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. मां दुर्गा के आगमन के साथ ही शुभ कार्यों में तेजी आ जाती है और दिवाली के बाद शादी और आदि मांगलिक कार्य के लिए शुभ मूर्हूत और शुभ तिथि निकाली जाती है.
Read: इस वरदान को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु को लेना पड़ा श्रीकृष्ण के रूप में जन्म
इस दौरान इन भगवानों की होती है पूजा
आपने अक्सर ध्यान दिया होगा भले ही घर पर कोई भी शुभ कार्य ना हो, लेकिन इस दौरान गुरु पूर्णिमा, नाग पंचमी, राखी, जन्माष्टमी, गणेशोत्सव, श्राद्ध पक्ष जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार आते हैं.
इस दौरान आता है श्राद्ध पक्ष
हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का खास महत्व है. इस दौरान लोग अपने घर के मृत लोगों की शांति के लिए पूजा और दान-पुण्य करते हैं. ताकि उनके पूर्वजों को शांति मिल सके…Next
Read More:
इस वरदान की वजह से आज भी अस्तित्व में हैं भगवान हनुमान, जानें किसने दिया था वरदान?
हजारों सालों से घट रहा है ‘गोवर्धन पर्वत’ का आकार, इसके पीछे की ये है रोचक कहानी
Read Comments