भारत के कई ऐसे राज्य हैं जहां पर ऐसे लोगों की पूजा होती है जिन्होंने बुराई का साथ दिया था. रामायण के प्रमुख पात्र रावण की भी कई जगहों पर पूजा होती है. आपने महाभारत की कहानी तो जरूर पढ़ी होगी और उस कहानी के किरदार मामा शकुनी के बारे में भी आप जानते होंगे. लेकिन आप शायद ये नहीं जानते होंगे कि शकुनी को केरल का एक समुदाय अपने भगवान की तरह मानता है.
केरल के पास है शकुनी का मंदिर
केरल के कोल्लम मंदिर मायम्कोट्टू मलंचारुवु मलनाड में महाभारत में खलनायक के तौर पर दिखाए जाने वाले मामा शकुनी की पूजा होती है. ये मंदिर जहां स्थित है फिलहाल वह स्थान पवित्रेश्वरम नाम से जाना जाता है.
क्यों करते हैं पूजा
महाभारत के मुताबिक, कुरुक्षेत्र युद्ध के लिए मुख्य रूप से दोषी माने जाने वाले शकुनी अन्य कई बुरी चीजों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं. हालांकि, सनातन धर्म के अनुसार, शकुनी में भी कुछ सात्विक चीजें थीं इसलिए उसकी पूजा की जाती है. यहां के समुदाय का कहना है कि बाद में शकुनी सात्विक स्वभाव के हो गए थे.
कैसे होती है शकुनी की पूजा
यहां मलक्कुडा महोलसवम नामक एक भव्य सालाना उत्सव भी आयोजित किया जाता है.
मोक्ष पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या
महाभारत युद्ध के हो जाने के बाद शकुनी अपने मन को शांत करने के लिए भगवान शिव की अराधना करने लगे. कई सालों की कड़ी तपस्या के बाद उन्हें शिव से वरदान मिला था. शकुनी ने तपस्या के लिए जिस स्थान को चुना था वह फिलहाल मंदिर को तौर पर वहां मौजूद है.
पत्थर की करते हैं पूजा
शकुनी के मंदिर में उनकी कोई मूर्ती नहीं है, वहां केवल एक पत्थर है जिसकी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि उसी पत्थर को शकुनी ने शिव की अराधना के लिए प्रयोग में लाया था. मंदिर में शकुनी के अलावा देवी भुवनेश्वरी, भगवान किरातमूर्ति व नागराज की भी पूजा होती है…Next
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