कहते हैं कि भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान का नाम लेने भर से ही तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. भारत ही नहीं दुनियाभर में करोड़ों हिन्दू हनुमान की पूजा करते हैं. उत्तराखंड को तो देवभूमि कहा जाता है. यहां 33 कोटि के देवताओं की पूजा होती है. लेकिन उत्तराखंड में ही एक ऐसी जगह भी है, जहां भगवान हनुमान की पूजा नहीं होती बल्कि यहां के लोग उनसे नाराज रहते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.
क्यों नहीं होती पूजा
उत्तराखंड के चमोली जिले में करीब 14000 फुट की ऊंचाई पर एक छोटा सा गांव द्रोणागिरि है. द्रोणागिरि पर्वत पर बसे इस गांव के बारे में मान्यता है कि रामायण काल में लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी की खोज में आए बजरंगबली हनुमान जिस पर्वत को उठाकर ले गए थे, वह यहीं पर स्थित था. आज भी यहां के लोग उस पर्वत की पूजा करते हैं. इसी वजह से यहां के लोग अब उनकी आराधना नहीं करते हैं.
हनुमान ने द्रोणागिरि के पहाड़ देवता को उखाड़ दिया था
कथाओं के अनुसार हनुमान ने द्रोणागिरि के पहाड़ देवता की दायीं भुजा भी उखाड़ दी थी. द्रोणागिरि में मान्यता है कि आज भी उनके पहाड़ देवता की दायीं भुजा से खून बह रहा है, यह भी एक वजह है कि यहां के लोग आज तक बजरंगबली से नाराज हैं और उनकी पूजा नहीं करते.
देश में इन दो जगहों पर है श्री हनुमान और उनके पुत्र का मंदिर
हनुमान का कोई भी प्रतीक नहीं मानते हैं यहां के लोग
इस गांव में हनुमानजी का प्रतीक लाल झंडा भी लगाने की मनाही है. यही नहीं जब हनुमान जी संजीवनी बूटी खोजते हुए इस गांव में पहुंचे तो वे चारों तरफ पहाड़ देखकर वह भ्रमित हो गए उन्हें समझ नही आ रहा था कि संजीवनी बूटी किस पहाड़ पर हो सकती है. तभी उन्होंने गांव के एक बुजर्ग महिला से संजीवनी बूटी का पता पूछा तो उस महिला ने एक पहाड़ की तरफ संकेत किया.
उस वृद्ध महिला कि गलती की सजा आज तक इस गांव की महिलाओं को भी भुगतना पड़ रहा है. इस गांव में आराध्य देव पर्वत की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. इस दिन यहां के पुरूष महिलाओं के हाथ का दिया भोजन नहीं खाते. महिलाएं भी इस पूजा में भाग नही लेती है…Next
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