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महाभारत के युद्ध में बचे थे केवल 18 योद्धा, जानिए इस अंक से जुड़े आश्चर्यजनक रहस्य

अधिकत्तर लोगों को महाभारत में 18 की संख्या कुरुक्षेत्र युद्ध से लेते हैं जिसे महाभारत का युद्ध भी कहा जाता है. दरअसल कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया यह युद्ध 18 दिन तक चला था इस दौरान भगवान कृष्ण ने योद्धा अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि महाभारत में बहुत सी बातें और घटनाएं हैं जिसका संबंध 18 अंक से है. आइए जानते हैं 18 अंक के महत्व को.
श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय
अर्जुनविषादयोग, सांख्ययोग, कर्मयोग, ज्ञानकर्मसंन्यासयोग, कर्मसंन्यासयोग, आत्मसंयमयोग, ज्ञानविज्ञानयोग, अक्षरब्रह्मयोग, राजविद्याराजगुह्ययोग, विभूतियोग, विश्वरूपदर्शनयोग, भक्तियोग, क्षेत्र, क्षेत्रज्ञविभागयोग, गुणत्रयविभागयोग, पुरुषोत्तमयोग, दैवासुरसम्पद्विभागयोग, श्रद्धात्रयविभागयोग और मोक्षसंन्यासयोग।
महाभारत ग्रंथ ‍की रचना के कुल 18 पर्व
ऋषि वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं. वेदव्यास ने जो महाभारत ग्रंथ ‍की रचना की उसमें कुल 18 पर्व है. ये हैं वह पर्व…
आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट पर्व, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशासन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व. वैसे माना जाता है कि उन्होंने 18 पुराण की भी रचना की थी.
महाभारत में 18 के अंक के अन्य रहस्य
ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी, जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी.
युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे,  जिनके नाम थे- धृतराष्ट्र,  दुर्योधन,  दुशासन,  कर्ण,  शकुनि,  भीष्म,  द्रोण,  कृपाचार्य,  अश्वत्थामा, कृतवर्मा,  श्रीकृष्ण,  युधिष्ठिर,  भीम,  अर्जुन,  नकुल,  सहदेव,  द्रौपदी एवं विदुर.
महाभारत के युद्ध में ‘18’ का अंतिम सत्य ये है कि महाभारत के युद्ध के पश्चात कौरवों की तरफ से 3 और पांडवों के तरफ से 15 यानी कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे.
इस तरह 18 दिनों तक चले रक्तरंजित युद्ध में ‘18’ अंक एक रहस्य की तरह है.

अधिकतर लोग महाभारत में 18 की संख्या को ‘कुरुक्षेत्र युद्ध के दिन’ मानकर चलते हैं जिसे महाभारत का युद्ध भी कहा जाता है. दरअसल कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया यह युद्ध 18 दिन तक चला था इस दौरान भगवान कृष्ण ने योद्धा अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि महाभारत में बहुत सी बातें और घटनाएं हैं जिसका संबंध 18 अंक से है. आइए जानते हैं 18 अंक के महत्व को.

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श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय

अर्जुनविषादयोग, सांख्ययोग, कर्मयोग, ज्ञानकर्मसंन्यासयोग, कर्मसंन्यासयोग, आत्मसंयमयोग, ज्ञानविज्ञानयोग, अक्षरब्रह्मयोग, राजविद्याराजगुह्ययोग, विभूतियोग, विश्वरूपदर्शनयोग, भक्तियोग, क्षेत्र, क्षेत्रज्ञविभागयोग, गुणत्रयविभागयोग, पुरुषोत्तमयोग, दैवासुरसम्पद्विभागयोग, श्रद्धात्रयविभागयोग और मोक्षसंन्यासयोग।

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महाभारत ग्रंथ ‍की रचना के कुल 18 पर्व

ऋषि वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं. वेदव्यास ने जो महाभारत ग्रंथ ‍की रचना की उसमें कुल 18 पर्व है. ये हैं वह पर्व…

आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट पर्व, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशासन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व. वैसे माना जाता है कि उन्होंने 18 पुराण की भी रचना की थी.



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महाभारत में 18 के अंक के अन्य रहस्य

1. ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी, जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी.

2. युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे,  जिनके नाम थे- धृतराष्ट्र,  दुर्योधन,  दुशासन,  कर्ण,  शकुनि,  भीष्म,  द्रोण,  कृपाचार्य,  अश्वत्थामा, कृतवर्मा,  श्रीकृष्ण,  युधिष्ठिर,  भीम,  अर्जुन,  नकुल,  सहदेव,  द्रौपदी एवं विदुर.

3. महाभारत के युद्ध में ‘18’ का अंतिम सत्य ये है कि महाभारत के युद्ध के पश्चात कौरवों की तरफ से 3 और पांडवों के तरफ से 15 यानी कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे.

इस तरह 18 दिनों तक चले रक्तरंजित युद्ध में ‘18’ अंक एक रहस्य की तरह है…Next


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