भगवान की स्तुति करने के बहुत से तरीके होते हैं कोई कीर्तन करके उनका आभार जताता है, तो कोई जागरण, हवन करके भगवान को याद करता है. हम में से अधिकतर लोग तो ऐसे हैं जो रोजाना पूजा-पाठ करते हैं लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि पूजा-पाठ के बाद आरती क्यों की जाती है. आरती करने के पीछे भी एक कारण है. आइए जानते हैं आरती करने के पीछे का तर्क. ऐसा नहीं है कि आरती का केवल धार्मिक महत्व ही है बल्कि आरती का वैज्ञानिक तर्क भी है.
आरती की थाल में रुई, घी, कपूर, फूल, चंदन होता है. रुई शुद्घ कपास होता है इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होती है. इसी प्रकार घी भी दूध का मूल तत्व होता है. कपूर और चंदन भी शुद्घ और सात्विक पदार्थ है. जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है तो एक अद्भुत सुगंध वातावरण में फैल जाती है.
इससे आस-पास के वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. इस वजह से मन में अच्छे विचारों का आगमन होता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि खूशबू या सुगन्ध का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है. इससे हमारा दिल और दिमाग शांत रहता है.
जिससे किसी भी प्रकार की नकारात्मकता हम पर हावी नहीं होती. साथ ही आरती में बजने वाले शंख और घंटी के स्वर के साथ जिस किसी देवता को ध्यान करके गायन किया जाता है उसके प्रति मन केन्द्रित होता है, जिससे मन में चल रहे प्रश्नों पर विराम लगकर हमारे मन को शांति मिलती है…Next
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भगवान श्रीकृष्ण ने क्यों दिया अपने ही पुत्र को ये श्राप!
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