पवित्र स्थलों को हमेशा चमत्कारों से जोड़कर देखा जाता है. आप देश के किसी भी कोने में चले जाइए, आपको मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च से जुड़े हुए कई हैरान कर देने वाले किस्से सुनने को मिल जाएंगे. जहां तर्क और विज्ञान के पास जवाब नहीं होता वहां दिव्य चमत्कार होते हैं. कुछ ऐसे ही हैरतअंगेज रहस्यों से भरा हुआ है आन्ध्र प्रदेश में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर. यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर इस राज्य की तिरूमाला पहाड़ियों की सातवीं चोटी पर स्थित है. वर्तमान में तिरूपति बालाजी की जो मूर्ति दिखाई देती है, उसकी आंखें कर्पूर (कपूर) के तिलक से ढकी हुई है. और यह जिस स्वर्ण-गुम्बद के नीचे स्थापित है, उसे ‘आनंद निलय दिव्य विमान’ कहा जाता है.
इन रहस्यों से भरपूर है तिरूपति बालाजी मंदिर
1. तिरूपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति के पर लगे हुए बाल उनके वास्तविक बाल हैं. आश्चर्यजनक यह है कि ये बाल हमेशा मुलायम, सुलझे हुए और चमकदार रहते हैं.
2. तिरूपति बालाजी के मूर्ति के पिछले हिस्से में हमेशा नमी बनी रहती है. लोगों का मानना है कि इस मूर्ति के पीछे से ध्यान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की आवाज आती है. ऐसा क्यों होता है, यह किसी को आजतक ज्ञात नहीं हो पाया है.
3. तिरूपति बालाजी के मंदिर में चढाए गए पुष्प और तुलसी कभी भक्तों को वापस नहीं किए जाते हैं, बल्कि उन्हें इस मंदिर के परिसर में बने एक कूप (कुएं) में डाल दिया जाता है.
4. मंदिर में जो भी पुष्प, पुष्पमालाएं अर्पित की जाती है, उन्हें इस मंदिर के पुजारी बिना देखे पीछे फेंकते जाते हैं, क्योंकि मान्यता है कि उन्हें पीछे देखकर फेंकना अशुभ होता है.
5. भगवान तिरूपति बालाजी की ठोड़ी (ठुड्डी) में चंदन लगाने की परंपरा के बारे में अनुश्रुति है कि इसका संबंध इसी मंदिर के दायीं ओर रखी एक छड़ी से है. कहते हैं कि बचपन में इस छड़ी का प्रयोग भगवान को मारने में किया जाता था, लेकिन एकबार इस छड़ी से उनकी ठुड्डी में चोट लग गई. उनका यह चोट चंदन के आलेप से सही हुआ था. यही कारण है कि उनकी ठोड़ी में चन्दन का अभिषेक किया जाता है.
6. मान्यता के अनुसार प्रत्येक वीरवार को भगवान तिरूपति बालाजी की मूर्ति को सफेद चंदन से आलेपित किया जाता है. कहते हैं, जब इस लेप को हटाया जाता है तो मूर्ति में देवी लक्ष्मी के चिन्ह बने हुए मिलते हैं…Next
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