संसार के हर मनुष्य ने अपने लिए कोई न कोई नियम ऐसे बनाए होते हैं जिसका वे अनुसरण करता है. लेकिन मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उसमें परिवर्तन करता रहता है. लेकिन दूसरी तरफ प्रकृति के बनाए हुए नियम कभी किसी के लिए नहीं बदलते जैसे सूरज हमेशा पूरब से ही उगता है वो किसी व्यक्ति विशेष के लिए अपनी दिशा नहीं बदलता. इसी तरह कर्मों ने भी अपने लिए कुछ अपरिवर्तनशील कानून बनाए हैं जो कभी नहीं बदलते. इसके अनुसार ही किसी मनुष्य को अपने कर्मों का फल मिलता हैं और मनुष्य का भाग्य निर्धारित होता है. आइए हम आपको बताते हैं कर्म के नियम.
जानिए, आपके कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले ये देवता कैसे हुए अवतरित?
तटस्थता का नियम : इसके अनुसार कर्म किसी भी मनुष्य का पक्ष नहीं लेता. यानि कर्म के लिए सभी समान है. किसी मनुष्य के अच्छे और बुरे क्रियाकलाप ही उसको मिलने वाले फल के लिए उत्तरदायी है.
सीख या अनुभव का नियम : इसके अनुसार कोई मनुष्य अपने व्यक्तिगत अनुभवों या भूतकाल की किसी घटना से प्रभावित होकर व्यवहार करता है. यानि यदि कोई मनुष्य अपने भूतकाल के अनुभव के कारण कोई कदम उठाता है तो उस पर अनुभव का नियम लागू होता है.
संतुलन का नियम : इसके अनुसार आपके अच्छे और बुरे कामों को मिलाकर आपका भाग्य निर्धारित किया जाता है. जिसे संतुलन का सिद्धांत कहते हैं.
कर्मचक्र से जुड़े इन पांच नियमों को जानकर हर मनुष्य बदल सकता है अपना जीवन
विस्तार का नियम : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ब्रह्माण्ड ऊर्जा से भरा हुआ है. इसी ऊर्जा से पूरा संसार चलता है. जिससे सभी वस्तुओं को गति और वृद्धि मिलती है. इसी तरह अपने जीवन के विभिन्न पड़ावों पर मनुष्य द्वारा किए गए कार्यों का लेखा-जोखा विस्तार के नियम के अंतर्गत आता है.
प्रेम का नियम : प्रेम का नियम कर्म का सबसे महत्वपूर्ण नियम है जिसके अनुसार कोई मनुष्य किसी अन्य जीव या वस्तु से कितना प्रेम करता है वो लागू होता है. किसी मनुष्य द्वारा अन्य मनुष्य से निश्छल भाव से किए गए प्रेम का फल, इसी नियम के अंतर्गत आता है…Next
Read more
तो इस तरह महाभारत में सुनाई गई रामायण की कहानी
Read Comments