कहते हैं कभी भी किसी को दुख नहीं देना चाहिए. हिन्दू धर्म के विभिन्न पुराणों और शास्त्रों में सबसे बड़ा पाप किसी को यातना देना है. यदि हम किसी को यातना देते हैं तो उसका दण्ड हमें कभी न कभी जरूर मिलता है. बल्कि किसी भी इंसान ही नहीं दुनिया के किसी भी जीव को किसी भी तरह से दुख देने का फल प्रकृति हमें अवश्य देती है.
ऐसी ही कहानी हमें वाल्मिकी द्वारा रचित ‘रामायण’ में मिलती है. जिसमें एक ब्राह्मण द्वारा यातना देने पर एक स्वान (कुत्ता) श्रीराम से न्याय की याचना करता है. एक पौराणिक कहानी के अनुसार श्रीरामचन्द्र वनवास के बाद अयोध्या लौटे तो खूब धूम-धाम से उनका राजतिलक हुआ. बड़े सम्मान के साथ उन्हें अयोध्या का राजा बनाया गया. राजगद्दी पर बैठने के बाद उन्होंने लक्ष्मण जी को आदेश दिया हुआ था कि भोजन करने से पहले देखो हमारे द्वार पर कोई भूखा तो नहीं है. एक दिन की बात है लक्ष्मण जी ने श्रीरामचन्द्र से कहा, ‘मैं अभी आवाज लगाकर आया हूं, कोई भी भूखा नहीं है’
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श्रीरामचन्द्र ने कहा, ‘ दोबारा जाओ और जोर से आवाज लगाओ शायद कोई भूखा रह गया हो.’
श्रीरामचन्द्र का आदेश पालन करते हुए लक्ष्मण दोबारा बाहर गए और उन्होंने जोर से आवाज लगाई तो कोई आदमी तो नहीं वरन् एक कुत्ते को लक्ष्मण जी ने रोते हुए देखा. अन्दर आ कर उन्होंने श्रीरामचन्द्र से कहा, ‘बाहर कोई व्यक्ति भूखा नहीं है बल्कि एक कुत्ता अवश्य रो रहा है.
श्रीरामचन्द्र ने उस कुत्ते को अंदर बुलाया और कुत्ते से पूछा, ‘तुम रो क्यों रहे हो ? ‘
कुत्ते ने कहा, ‘एक ब्राह्मण ने मुझे डंडा मारा है.’
श्रीरामचन्द्र ने ब्राह्मण को बुलवाया और उससे पूछा, ‘क्या यह कुत्ता सही बोल रहा है? ‘
ब्राह्मण ने कहा, ‘हां यह मेरे रास्ते में सो रहा था इसलिए मैंने इसे डंडा मारा है. यह कुत्ते जहां-तहां लेट जाते हैं, इन्हें डंडे से ही मारना चाहिए.
श्रीरामचन्द्र समझ गए कि ब्राह्मण की ही गलती है परंतु ब्राह्मण को क्या कहें सो उन्होंने कुत्ते को पूछा, ‘ब्राह्मण ने तुम्हें डंडा मारा तो तुम क्या चाहते हो? ‘
कुत्ते ने कहा,’भगवान इसे मठाधीश बना दिया जाए’
कुत्ते की बात सुनकर भगवान मुस्करा दिए और मुस्कराते हुए कुत्ते से पूछा,’ इस ब्राह्मण ने तुम्हें डंडा मारा बदले में तुम इन्हें मठाधीश बनाना चाहते हो. मठाधीश बनने से इनकी बहुत सेवा होगी, काफी चेले बन जाएंगे. इससे तुम्हारा क्या फायदा होगा.’
कुत्ता बोला, मैं भी मठाधीश था. मुझ से कुछ गलत काम हुआ आज मैं कुत्ते की योनि में हूं और लोगों के डंडे खा रहा हूं. ये भी मठाधीश बनेगा फिर कुत्ते की योनि में जाएगा, फिर लोगों के डंडे खाएगा तो इसकी सजा पूरी हो जाएगी.
इस तरह श्रीराम ने कुत्ते की इच्छा पूरी की. इस तरह दूसरों को यातना देने वाले लोग कर्मों के पाश से नहीं बच पाए हैं और उन्हें प्रकृति से इसका दण्ड अवश्य ही मिलता है.Next…
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