मंथरा का नाम सामने आते ही ज़ेहन में एक कुबड़ी औरत की तस्वीर याद आती है जो झुककर चलती थी. वो जन्म से कुबड़ी नहीं थी. कहा जाता है कि वो पहले सामान्य तरीके से चल-फिर सकती थी. एक दिन उसने कुछ ऐसा पी लिया जिससे वो ज़िंदगी भर के लिए कुबड़ी रह गई. वो कौन-सा पेय पदार्थ था जिसे पीकर मंथरा की रीढ़ की हड्डी हमेशा के लिए झुक गई?
कैकेयी के राजा अश्वपति का एक भाई था जिसका नाम वृहदश्व था. उसकी विशाल नैनों वाली एक बेटी थी जिसका नाम रेखा था. वह बचपन से ही कैकेयी की अच्छी सहेली थी. वह राजकन्या थी और बुद्धिमति थी. परंतु बाल्यावस्था में उसे एक बीमारी हुई. इस बीमारी में उसका पूरा शरीर पसीने से तर(भींग) हो जाता था. शरीर भींगने के साथ ही उसे बड़ी जोर की प्यास लगती थी.
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एक दिन प्यास से अत्यंत व्याकुल हो उसने इलायची, मिश्री और चंदन से बनी शरबत को पी लिया. उस शरबत के पीते ही वह त्रिदोष से ग्रस्त हो गई. उसके शरीर के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया. उसके पिता तथा अन्य सगे-संबंधियों को लगा कि शायद उसकी मृत्यु हो जाएगी.
तत्काल ही उसके पिता ने प्रसिद्ध चिकित्सकों से अपनी लाडली बेटी की चिकित्सा करवाई. इस उपचार का प्रभाव यह हुआ कि वह मृत्यु से बच गई, उसके शरीर के अन्य अंग काम करने लगे परंतु उसकी रीढ़ की हड्डी सदा के लिए टेढ़ी हो गई. इसके अलावा उसके दोनों कंधे और गर्दन झुक गए.
इस कारण से उसका नाम कूबड़ी मंथरा पड़ गया. उसके इस शारीरिक दुर्गुण के कारण वह आजीवन अविवाहित रही. जब कैकेयी का विवाह हो गया तो वह अपने पिता की अनुमति से कैकेयी की अंगरक्षिका बनकर उसके राजमहल में रहने लगी.
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