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आचार्य चाणक्य के इस भयंकर अपराध में छुपा है उनकी मृत्यु का रहस्य

आधुनिक परिवेश में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो बदलाव की बयार से अछूता हो लेकिन दूसरी ओर कुछ लोग और मान्यताएं ऐसी भी हैं जिनकी प्रांसगिकता आदिकाल से लेकर आज भी बनी हुई है. आचार्य चाणक्य का नाम और उनकी नीतियां आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. जीवन को जीने की कला और सफल होने के लिए उनके द्वारा बताए गए सूत्रों को लोग आज भी मानते हैं. चाणक्य के जन्म और जीवन से जुड़ी हुई ऐसी कई कहानियां है जो रोचकता से भरी हुई है लेकिन क्या आप जानते हैं उनके जीवन से भी कहीं अधिक रहस्यमय उनकी मृत्यु की कहानी है. वैसे तो उनकी मौत के बारे में कई कहानियां प्रचलित है लेकिन कहा जाता है कि उन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिन्दुसार के हाथों अपमानित होने पर स्वयं ही पाटलीपुत्र छोड़कर आमरण अनशन को चुना था.


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ज्यादा ईमानदारी सफलता के लिए ठीक नहीं होती: चाणक्य नीति

लेकिन कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि अपनी मां को मारने के अपराध के कारण बिन्दुसार ने चाणक्य को एक जंगल में छल से जीवित जला दिया था. पाटलीपुत्र यानि आज के बिहार और आसपास के राज्यों में चली आ रही एक कहानी के अनुसार चन्द्रगुप्त की मृत्यु के बाद उनके पुत्र ने पाटलीपुत्र की राजगद्दी संभाली. बिन्दुसार का स्वभाव अपने पिता से थोड़ा अलग था. वो शुरू से ही चाणक्य को अपने पिता जितना सम्मान नहीं देता था. आचार्य चाणक्य बिन्दुसार के शासन करने के तरीकों से प्रसन्न नहीं थे. एक दिन बिन्दुसार की भेंट राज्य में रहने वाली दाई से हुई. उसने बिन्दुसार को उसके जन्म से जुड़ी हुई एक घटना बताई. दाई के अनुसार आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को एक महान राजा बनाना चाहते थे इसलिए वो नहीं चाहते थे कि उनका शिष्य किसी प्रेम और मोह के वशीभूत होकर अपने शासन के मार्ग से विचलित हो. लेकिन दूसरी तरफ राजा मौर्य अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे. वो कभी-कभी राजपाट से जुड़े निर्णयों को अपने पत्नी प्रेम के चलते टाल देते थे. चाणक्य अपने शिष्य की यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी.


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चाणक्य नीति: अपने इस शक्ति के दम पर स्त्री, ब्राह्मण और राजा करा लेते हैं अपना सारा काम

इसलिए उन्होंने राजधर्म की परिपाटी पर चलते हुए मौर्य की पत्नी के भोजन में रोजाना विष मिलाना शुरू कर दिया. राजा-रानी चाणक्य की इस कूटनीति से बिल्कुल बेखबर थे. धीरे-धीरे विष ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. रानी अधिकतर समय बीमार रहने लगी.लेकिन तभी किसी ने चाणक्य को रानी के गर्भवती होने का सन्देश दिया. इस खबर को सुनकर चाणक्य चिंतित हो उठे. क्योंकि वो राज्य के भावी राजा को बचाना चाहते थे. इसलिए रानी के प्रसव काल से कुछ दिन पहले ही चाणक्य ने एक दाई के साथ मिलकर रानी का समय पूर्व प्रसव कर दिया. इस प्रकार से रानी की पीड़ा और विष के प्रभाव से मृत्यृ हो गई. क्योंकि घातक विष ने रानी के शरीर को कमजोर बना दिया था. अपनी मां की मृत्यु का कारण जानकर बिन्दुसार क्रोध से भर उठा.


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चाणक्य से प्रतिशोध लेने के लिए उनकी कुटिया को रात में आग लगा दी. जिसमें जलकर चाणक्य की मृत्यु हो गई. दूसरी ओर कुछ लोग कहते हैं अपने अपमान का कड़वा घूंट पीने के कारण चाणक्य ने अन्न-जल त्याग दिया था. जिसके कारण उनका शरीर कमजोर पड़ता गया और अंत में उनकी मृत्यु हो गई…Next


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