भक्तों को हमेशा ईश्वर से शिकायत होती है कि ईश्वर इनकी नहीं सुनते हैं, परन्तु ऐसा नहीं है क्योंकि ईश्वर में आस्था रखने वाले भक्तजनों को यह तीन चीजें प्राप्त होती है. ईश्वर द्वारा प्राप्त यह तीन फल है- सिद्धि, स्वर्ग, और मुक्ति. जानिए इन तीनों से कैसे मनुष्य लाभान्वित होते हैं.
प्रथम फल सिद्धि- मनुष्य के जीवन में सिद्धि का मूल अर्थ होता है किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करना. स्पष्ट है कि चिरस्थाई और प्रशासनीय सफलताएंं गुण, कर्म, स्वभाव की उत्कृष्टता के फलस्वरूप ही उपलब्ध होती हैं. वेदों में कहा गया है कि अध्यात्मवादी आस्तिक व्यक्ति चमत्कारी सिद्धियों से भरे-पूरे हैं. परन्तु ऐसा कतई न समझें कि बिना कार्य के ही सफलता आपके पास आ जाएगी. कर्म तो किसी भी सूरत में करना ही होगा.
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दूसरा फल स्वर्ग- यदि आप ईश्वर में आस्था रखते हैं तो स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है. अभाव, तृष्णा की तुलना में उपलब्धियों को कम आंकने के कारण स्वर्ग नहीं मिलेगा. अभावों, कठिनाइयों और विरोधियों की सूची अपने दिमाग से निकाल दें तथा उपलब्धियों और सहयोगियों की सूची नये सिरे से बनाएं. सही मायनों में स्वर्ग यही है.
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तीसरा फल मुक्ति- ईश्वर में विश्वास रखने वाले को तीसरा फल मिलता है मुक्ति का. मुक्ति का अर्थ है अवांछनीय भव-बंधनों से छूटना. काम, क्रोध लोभ, मोह मद, मत्सर, ईर्ष्या, द्वेष, छल, चिन्ता, भय, दैन्य जैसे मनोविकार ही व्यक्तित्व को जलाते रहते हैं. शास्त्र इन्हीं दुर्बलताओं को नष्ट करने की प्रेरणा देता है. ईश्वर में आस्था से मनुष्य सभी भौतिक कार्यों से मुक्त हो जाता है परन्तु यह आस्था सच्चे मन से होनी चाहिए.Next…
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