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कर्मचक्र से जुड़े इन पांच नियमों को जानकर हर मनुष्य बदल सकता है अपना जीवन

अगर आपसे पूछा जाए कि ‘कर्म’ क्या है तो शायद आपका जवाब होगा कि धरती पर मौजूद कोई भी इंसान जो भी अच्छा या बुरा काम करता है वो वापस लौटकर उसके पास ही आता है. यानि हर व्यक्ति को अपने द्वारा किए गए कर्मों का फल जरूर मिलता है. वेदों, पुराणों और शास्त्रों में हर जगह कर्मों का व्याखान मिलता है. वहीं दूसरी तरफ अगर वैज्ञानिक तर्क की बात करें तो महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन ने भी प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया का सिद्धांत दिया है. उसी तरह यदि आप कर्मों से जुड़े विभिन्न नियमों को जान लें तो आप अपनी क्रिया-प्रतिक्रिया या फिर यूं कहें कर्मों को काफी हद तक नियंत्रित करके, कर्मों के बंधन से बाहर निकलकर खुशहाल जीवन जी सकते हैं. आइए हम आपको बताते हैं कर्मचक्र से जुड़े हुए नियम.


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सबसे बड़ा नियम

हम बचपन से सुनते आए हैं कि ‘जैसा बोओगे, वैसा काटोगे’ या फिर जैसी करनी वैसी भरनी. इन दोनों बातों का सम्बन्ध ‘कारण और प्रभाव’ नियम से है. इसलिए हमें सदा ही ये प्रयास करना चाहिए कि हम हमेशा अच्छा काम ही करें. जिससे कि हमें भी सकारात्मक नतीजे प्राप्त हो सके. याद रखें ब्रह्माण्ड हमें वही वापस लौटाता है जो हम देते हैं.



सृजन का नियम

किसी भी व्यक्ति की जिदंगी बस यूं ही बसर नहीं होती बल्कि इसके लिए जिदंगी के हर पहलू का हिस्सा बनना बेहद जरूरी है. हमारे अन्दर और बाहर भी एक तरह का ब्रह्माण्ड है. हमारा बाहरी ब्रह्माण्ड बाहरी वातावरण से प्रभावित होकर आंतरिक ब्रह्माण्ड को जीवन के प्रति होने वाली हर एक घटना का आभास देता है जिसे हम ‘सिक्स सेंस’ के नाम से जानते हैं.



विनम्रता का नियम

आप किसी भी चीज को तब तक बदल नहीं सकते जब तक आप उस चीज को ग्रहण करने से इंकार करते हैं. इसी तरह जो भी लोग या वस्तु हमारे पास है उसको विनम्रता के साथ पूरी तरह स्वीकार करना चाहिए.


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जिम्मेदारी का नियम

आमतौर पर किसी भी व्यक्ति के साथ कुछ भी गलत होता है तो उसका दोष वो दूसरों पर मढ़ देते हैं. लेकिन आपके द्वारा कुछ भी गलत होने पर आपको उसका दोषारोपण दूसरों पर नहीं बल्कि खुद जिम्मेदार बनकर गलतियां स्वीकारनी चाहिए. कर्मों से जुड़े जिम्मेदारी के नियम के अनुसार आप एक आईने की तरह हैं जिसमें सबकुछ दिखाई देता है वहीं पूरा ब्रह्माण्ड भी एक आईना है जिसमें सब कुछ दिखता है.


एकाग्रता का नियम

अगर कोई व्यक्ति आपके सामने बैठकर धूम्रपान करता है जिसे देखकर आपका मन भी सिगरेट के कश लगाने को करने लगता है तो गलती उस इंसान की नहीं बल्कि आपकी होती है. क्योंकि एकाग्रता की कमी के कारण आपकी नकारात्मकता आप पर हावी हो चुकी होती है. इसलिए अगर आपका ध्यान कहीं भी भटकता है तो इसके जिम्मेदार कोई ओर नहीं बल्कि आप खुद हैं…Next


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