पुष्पक विमान को आज के हवाई जहाज का एक रूप कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. बल्कि पुष्पक विमान हवाई जहाज से कई गुना उन्नत था. भारत के सबसे प्राचीन विमान पुष्पक की चर्चा वाल्मीकि रामायण में मिलती है. साथ ही वैदिक साहित्य में भी सभी देवी-देवताओं का वाहन पुष्पक विमान हुआ करता था. वाल्मीकि रामायण के अनुसार विश्वकर्मा ने पुष्पक विमान का निर्माण धर्म कार्य के लिए किया था, लेकिन वक्त के साथ इस विमान पर देवताओं के साथ दानवों ने भी सवारी की. जानिए रामायण काल के सबसे उन्नत विमान पुष्पक से जुड़ी कुछ बातें…
विश्वकर्मा जी ने भविष्य को देखते हुए पुष्पक विमान को बनाया जिसे उन्होंने ब्रह्मा जी भेंट कर दिया था. विश्वकर्मा जी प्राप्त पुष्पक विमान को ब्रह्मा जी ने कुबेर को भेंट कर दिया. कुबेर के पास यह विमान ज्यादा दिनों तक नहीं रह पाया, क्योंकि रावण की बुरी नजर इस विमान पर थी. अतः रावण ने बलपूर्वक यह विमान कुबेर से छीन लिया.
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वाल्मीकि रामायण में इस विमान की विशेषता दर्ज है. रामायण के अनुसार इस विमान पर सवार व्यक्ति जो अपने मन में विचार करता था, उसी के अनुरूप यह विमान आचरण करता था. धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि यह विमान एक शीघ्रगामी, दूसरों के लिए दुर्लभ, वायु के समान वेगशाली और विचित्र वस्तुओं का संग्रह था. धार्मिक संदर्भों में विज्ञान की खोज करने वाले विद्वानों का कहना है कि पुष्पक विमान आधुनिक विज्ञान की तुलना में अधिक संपन्न था.
धार्मिक जानकार और विद्वान इसके पीछे तर्क और प्रमाण भी अपने हिसाब से देते हैं. ज्ञात हो कि रावण माता सीता को हर कर पुष्पक विमान से ही लंका ले गया था तथा भगवान श्रीराम रावण पर विजय के बाद इसी विमान से माता सीता के साथ अयोध्या लौटे थे. भगवान श्रीराम अयोध्या आने के बाद पुष्पक विमान का विधिवत पूजा कर कुबेर जी को वापस कर दिया गया.Next…
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