आज सोमवार यानी भोले शंकर का दिन है. आज के दिन शिव मंदिर “हर-हर महादेव” के जयकारे गूंज उठता है. भगवान शिवजी को अर्पित आज का दिन शिव भक्तों के लिए खास होता है. शिव भक्तों के लिए आज एक ऐसे शिव मंदिर की बात करते हैं जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शिव प्रतिमा के रूप में जाना जाता है. इस प्रसिद्ध शिवमंदिर का संबंध रामायण काल से है.
यहाँ आते हैं.
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मुरुदेश्वर का अर्थ होता है शिव. इस विशाल शिवमंदिर की ऊंचाई 123 फुट यानी 37 मीटर है. मुरुदेश्वर मंदिर पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से घिरा हुआ है. यहां सालों भर लोग पिकनिक मनाने आते हैं.
इस स्थान का पौराणिक महत्व भी है. मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव का आत्मलिंग स्थापित है अर्थात इस स्थान का संबंध रामायण काल से है. अमरता पाने हेतु रावण जब शिव जी को प्रसन्न करके उनका आत्मलिंग अपने साथ लंका ले जा रहा था. तब रास्ते में उसने इसी स्थान पर आत्मलिंग रखा था. गुस्से में रावण ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया उस प्रक्रिया में, जिस वस्त्र से आत्मलिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर जिसे अब मुरुदेश्वर कहते हैं में जा गिरा. इस कथा का प्रमाण शिव पुराण में मिलता है.
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इन मंदिर को एक स्थानीय व्यवसायी ने बनवाया था. मंदिर के द्वार पर दोनों तरफ सजीव हाथी के बराबर ऊँची हाथी की मूर्तियाँ लगी है. अरब सागर में बहुत दूर से ही इस प्रतिमा को देखा जा सकता है. इसे बनाने में दो साल लगे थे और शिवमोग्गा के काशीनाथ और अन्य मूर्तिकारों ने इसे बनाया था.Next…
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