शाम के 6 बजने वाले हैं. कुछ ही देर में इस पहाड़ी मंदिर में आरती शुरू होगी. आरती में शामिल होने के लिए श्रद्धालु जुटने लगे हैं पर इन श्रद्धालुओं में सिर्फ इंसान ही शामिल नहीं हैं. आरती में शामिल होने के लिए कुछ जंगली भालू भी मंदिर परिसर में जुटे हैं. आपने बिलकुल ठीक पढ़ा, जंगली भालू. इस मंदिर में अब भालुओं के बिना आरती की कोई कल्पना भी नहीं करता. इस मंदिर में आरती के लिए यूं भालुओं का जुटना पिछले एक महीने से कौतहुल का विषय बना हुआ है. पिछले एक महीने से ये भालू आरती से ठीक पहले इस पहाड़ी मंदिर में पहुंच जाते हैं.
यह मंदिर है बाबबाहरा के घुंचापाली में स्थित चंडी मंदिर. यहां के लोग करीब आधा दर्जन इन भालुओं में मां के प्रति इस श्रद्धा को देखकर दंग हैं. पर अब ये भालू इस मंदिर में होने वाली आरती के अभिन्न अंग बन चुके हैं. गांव के लोगों ने बताया कि यह सिलसिला पिछले एक महीने से चला हुआ है. भालुओं में चार भालू के बच्चे भी हैं. इन भालुओं ने अभी तक किसी श्रद्धालु को कोई क्षति तो नहीं पहुंचाई है, लेकिन माता के प्रति लोगों में धार्मिक आस्था को बढ़ाने का काम जरूर किया है.
एकता की मिसाल बनी यह मंदिर, शिव के साथ की जाती है अल्लाह की भी इबादत
जैसे ही शाम के 6 बजते हैं यह भालू मंदिर में जुटना शुरू कर देते हैं. जब तक आरती शुरू नहीं होती, तब तक ये भालू मंदिर परिसर में यहां-वहां बैठकर इंतजार करते हैं और आरती के शुरू होते ही सभी भालू दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं. इस दौरन भालू एक जगह एकत्रित रहने की बजाए अलग-अलग बिखरे होते हैं.
आरती के बाद ये सब माता की मंदिर की नौ परिक्रमा भी करते हैं. आरती खत्म हो जाने के बाद वे प्रसाद ग्रहण करना भी नहीं भूलते. प्रसाद ग्रहण कर वे सभी वापस पहाड़ी की ओर चले जाते हैं.Next…
Read more:
Read Comments