भारत एक ऐसा देश है जहां देवी या देवताओं के साथ-साथ पशु-पक्षी एवं पौधों की भी पूजा जाती है. गाय, तुलसी, नाग, इन सभी को पूजना भारतीय संस्कारों तथा प्रथाओं में अहम माना गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि युगों से पूजनीय गौ माता यानी कि गाय को क्यों पूजा जाता है? इसका क्या कारण है? क्या यह धर्म ग्रंथों में उल्लेखनीय है या फिर महज ऋषियों की मान्यता है?
इंसान की जरूरतों को पूरा करती है
यह तो सभी जानते हैं कि गाय ऐसा पशु है जो हमें अनेक प्रकार का लाभ देती है. दूध, गोबर, खेतों में हल जोतना, इन सभी कार्यों के लिए हम मनुष्य जाति गाय के आभारी हैं. लेकिन फिर भी किस रूप में गाय को मां की तरह पूजने की मान्यता है यह एक अत्यंत जरूरी प्रश्न है. तो आईये हम आपको इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ने में सहायता करते हैं.
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वो हमें पालती है
कहते हैं केवल भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों जैसे कि नेपाल एवं बर्मा में भी गाय को मां योग्य पूजने की प्रथा है. इसके पीछे का एक कारण यह भी है कि गाय की मदद से हमें पीने योग्य दूध, खाने योग्य दुग्ध पदार्थ एवं घर में चुल्हा जलाने के लिए गोबर मिलता है. यदि ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो उनके लिए गाय भगवान का वरदान है.
दूध और उससे बनी वस्तुएं हैं शुद्ध
गाय को शुद्ध प्राणी मानने का एक कारण यह भी है कि उसके द्वारा दिया गया दूध दुनिया की किसी भी अन्य वस्तु से कई गुणा ज्यादा शुद्ध होती है. गाय का दूध पीने से मन को शांति मिलती है. दूध से बने हुए घी का इस्तेमाल हवन में आहुति देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
शांत पशु है
शांति और धैर्य, यह दोनों गाय की निशानी है. गाय एक ऐसा पशु है जो तब तक किसी को परेशान नहीं कर सकती जब तक वो मजबूर ना हो. हम आमतौर पर सड़कों पर भी गाय को चलते हुए देख सकते हैं. यह राह गुजरते किसी भी इंसान को तकलीफ नहीं देती है.
लोगों ने इन्हें भगवान माना
आज के युग में हर जगह नहीं, लेकिन कई साल पहले आप भारत में हर दूसरे घर के बागीचों में एक गाय देख सकते थे. ना केवल लाभ के लिए बल्कि लोग गाय को घर की शुद्धि एवं स्वस्थ वातावरण का प्रतीक मानते हुए भी पूजते थे. गाय से संबंधित आज भी देश के विभिन्न स्थानों पर त्योहार मनाए जाते हैं जहां गाय को भगवान से कम नहीं माना जाता है.
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