महाभैरव, एक ऐसे देवता जिनका नाम सुनकर ही भय का आभास होता है लेकिन अपने भक्तों के लिए यह फलदायी हैं. भगवान हमें हमेशा ही हर संकट से दूर रखते हैं लेकिन भैरव ऐसे देवता हैं जो हमें भय से दूर ही नहीं बल्कि उसका पूर्ण विनाश करने में भी सहायता करते हैं.
भैरव हमें भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाते हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार भैरव का जन्म भगवान शिव के रूधिर से हुआ था. उन्हें काल भैरव, रुद्र, चंड, क्रोध, भीषण और संहार नाम से भी जाना जाता है. यदि आप भैरव की मूर्ति देखेंगे तो आपको कोलतार से भी गहरा काला रंग, डरावने नैन, काले वस्त्र, भयानक अस्त्र दिखाई देंगे. अपने भक्तों को मृत्यु, पिशाच, भूत व बुरी आत्माओं से बचाने के लिए भगवान भैरव हरदम तैयार रहते हैं.
भैरव को भूत भावन भगवान भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार हर गांव के पास एक भैरव मंदिर होना आवश्यक माना गया है. यह महें क्रूढ़ शक्तियों से बचाता है. कहते हैं कि हर गांव के पूर्व में स्थित देवी-मंदिर में स्थापित सात पीढियों के पास में आठवीं भैरव-पिंडी भी अवश्य होती है. इन मंदिर में जाकर जब हम देवी से अपने संकटों को दूर करने की प्राथर्ना करते हैं तो देवी प्रसन्न होने पर भैरव को आदेश देकर ही भक्तों की कार्यसिद्धि करा देती हैं.
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पुराण में यह भी उल्लेखनीय हैं कि भैरव ना केवल शिव के रुधिर से उत्पन्न हुए हैं बल्कि उन्हें शिव का अवतार ही माना गया है. शिव के स्वरूप के अलावा भैरव के खुद के अन्य रूप प्रसिद्ध हैं- काल भैरव एवं बटुकभैरव.
भैरव: पूर्णरूपोहि शंकरस्यपरात्मन:।
मूढास्तेवैन जानन्तिमोहिता:शिवमायया॥
काल भैरव
शिव के रूप भैरव को कालभैरव इसलिए कहा गया है क्योंकि यह कालों के काल हैं, यह मनुष्य के हर प्रकार के संकट में उसकी रक्षा करने में सक्षम हैं. यदि आप भैरव के इस रूप के उपासना करते हैं तो आपके अंदर साहस की उत्पत्ति होती है. हमें सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है. यदि आप भैरव के इस अवतार को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप करें- ।।ॐ भैरवाय नम:।।
बटुक भैरव
बटुक भगवान भैरव का ही रूप हैं लेकिन बाल रूप. भैरव के इस रूप को आनंद भैरव भी कहा जाता है. इस रूप से सम्बन्धित एक तथ्य यह भी है कि भैरव के बटुक रूप को ब्रह्मा, विष्णु, महेश की वंदना हासिल है.
पुराणों के अनुसार बटुक भैरव की उपासना करने से सभी रुके हुए काम बनते हैं और आपको शीघ्र ही अपने मार्ग पर सफलता हासिल होती है. यदि आप भी इस रूप को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस मांत्र का जाप बार-बार करें- ।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।। Next….
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