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आखिर क्यों करना पड़ता है नवरात्रों में ब्रह्मचर्य का पालन, जानिए क्या कहते हैं शास्त्र

हिन्दू धर्म ग्रंथ पुराणों के अनुसार माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय नवरात्र को ही माना गया है. नवरात्र का अर्थ है नौ रातें. इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों महालक्ष्मी, महासरस्वती तथा महाकाली सहित दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती हैं जिन्हें नवदुर्गा भी कहते हैं.


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नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिए अनेक प्रकार के उपवास, संयम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं. इस दौरान लोग अनेक नियमों का भी पालन करते हैं. ऐसा ही एक नियम है नवरात्रों के दौरान खुद को शारीरिक संबंध बनाने से दूर रखना है.


नवरात्र: नौ दिन ऐसे करें मां भगवती को प्रसन्न


नवरात्र एक ऐसा समय है जब हम देवी का आह्वान करते हैं. जिस प्रकार किसी की मृत्यु के बाद हम नियम कानून का पालन करते हैं ठीक उसी प्रकार नवरात्र में देवी को पूजते समय शास्त्रों में दिए कई नियमों को अपनाते हैं.


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ऐसी मान्यता है कि इस दौरान मां देवी हमारे घर पधारती हैं. उनके स्वागत के लिए हम अपने घर में पवित्र कलश की स्थापना भी करते हैं और पूरी श्रद्धा से नौ दिन तम हम उनका आह्वान करते हैं. ऐसे में शास्त्रों के हिसाब से हमे न केवल  मांस, मदिरा का त्याग करना चाहिए बल्कि नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पूर्णत: पालन करना चाहिए.


जानिए नवरात्र के नौ दिन और हर दिन की विशेष पूजन विधि


इस नियम के पीछे शास्त्रों में जो तर्क दिया जाता है वह यह है कि महिलाएं इस दौरान कमजोर हो जाती हैं. उनको न सिर्फ कमजोरी बल्कि चिड़चिड़ाहट भी महसूस होती है. साथ ही साथ पैर, पेट तथा पूरे शरीर में दर्द होता है. वास्तव में यह स्थिति काफी कष्टदायक होती है. यही नहीं उन्हें इस दौरान व्रत रखने की भी मनाही है.


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इसके अलावा शारीरिक संबंध बनाने पर शरीर में कुछ विशेष तरह के हार्मोंस का भी निष्कर्षण होता है जिसकी वजह से नकारात्मक शक्तियां जल्दी ही अपनी चपेट में ले लेती हैं. इस अवस्था में उनके मन में निराशा घर करने लगती है तथा कई बार वे अवसाद की शिकार भी हो जाती हैं. ज्यादातर घरों में नवरात्र के समय पति-पत्नी अलग-अलग रहते हैं.


एक और महत्वपूर्ण तर्क यह भी दिया जाता है कि जिस बिस्तर पर पति-पत्नी शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं उसी को छूकर देवी का आह्वान करना अशुद्ध माना जाता है. आप अशुद्ध मन से देवी मां की पूजा कर नहीं सकते इसलिए कम से कम उन नौ दिनों तक खुद पर नियंत्रण रखिए जिस दौरान स्वयं देवी मां हमारे घर पधारती हैं.


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